ऋषिकेश: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट में शामिल ऋषिकेश कर्णप्रयाग रेलवे लाइन का काम तेजी से चल रहा है, लेकिन ऋषिकेश-कर्णप्रयाग के बीच रेल का सफर करने के लिए लोगों को अभी करीब दो साल का इंतजार और करना पड़ेगा. रेल विकास निगम लिमिटेड ने पहाड़ पर ट्रेन चढ़ाने की डेडलाइन को बढ़ा दिया है. इसकी वजह पहाड़ों की भौगोलिक परिस्थिति को बताया गया है.
85 किलोमीटर रेलवे ट्रैक का काम पूरा
रेल विकास निगम लिमिटेड के चीफ प्रोजेक्ट मैनेजर अजीत यादव ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर ऋषिकेश कर्णप्रयाग रेल लाइन के बारे में कई अहम जानकारियां दी. उन्होंने बताया कि 104 किलोमीटर लंबी रेल परियोजना में 85 किलोमीटर रेलवे ट्रैक का काम पूरा कर लिया गया है. इस हिसाब से 86% का काम अब तक रेल विकास निगम ने किया है.
जनवरी 2027 तक दौड़ेगी ट्रेन
इसके अलावा 28 ब्रेकथ्रू टनल में किए गए हैं. कुल 40 टनल ब्रेकथ्रू होने हैं. 10 टनलों के ब्रेकथ्रू मार्च 2025 तक होने की उम्मीद है. बाकी के दो ब्रेकथ्रू दिसंबर 25 तक होंगे. जबकि, मार्च 2026 तक 213 किलोमीटर की रेलवे लाइन बिछाने का पूरा काम कर लिया जाएगा. दिसंबर 2026 या जनवरी 2027 से लोगों को ऋषिकेश से कर्णप्रयाग तक जाने की रेल सुविधा मिलनी शुरू होगी.
रेलवे स्टाफ के लिए बिल्डिंग निर्माण का काम जल्द होगा शुरू
उन्होंने बताया कि यह पूरा रेलवे ट्रैक हाईटेक तकनीक से बनाया जा रहा है. जिसमें टनल तोड़ने के लिए न तो बारूद का इस्तेमाल किया जा रहा है, ना ही किसी भी प्रकार से पहाड़ को नुकसान पहुंचाया जा रहा है. रेलवे ट्रैक को तैयार करने के साथ सभी 12 स्टेशन पर रेलवे स्टाफ के लिए बिल्डिंग निर्माण का कार्य भी जल्द शुरू किया जाएगा. इसके लिए आगामी 15 दिनों में टेंडर प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी.
19 बड़े पुलों में से 5 बनकर तैयार
बिल्डिंग का निर्माण कार्य डेढ़ साल में पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. इसके अलावा शिवपुरी गूलर और अलकनंदा नदियों पर 19 में से 5 बड़े पुल बनकर तैयार हो चुके हैं. जबकि, 14 पुलों पर कार्य प्रगति से चल रहा है. उम्मीद है कि साल 2025 के आखिरी तक यह सभी पुल बनकर तैयार हो जाएंगे. वहीं, दरारों को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि सुरंग खोदने के कारण कुछ ग्रामीणों की ओर से घरों में दरारें की शिकायत भी मिली थी. सभी प्रभावितों को मुआवजा रेल विकास निगम दे चुका है.