अल्मोड़ा: उत्तराखंड राज्य गठन के 25 वर्ष पूरे होने के मौके पर राज्य की स्थायी राजधानी को लेकर एक बार फिर राजनीतिक हलचल तेज हो गई है. अल्मोड़ा के पूर्व सांसद और वरिष्ठ कांग्रेस नेता प्रदीप टम्टा ने सरकार से स्पष्ट मांग की है कि आगामी 3 नवंबर को होने वाले विधानसभा सत्र में गैरसैंण को उत्तराखंड की स्थाई राजधानी घोषित किया जाए.
प्रदीप टम्टा ने कहा कि राज्य गठन के बाद से ही गैरसैंण को स्थायी राजधानी बनाए जाने की मांग जनता की भावनाओं से जुड़ा मुद्दा रहा है. उन्होंने कहा कि सरकार 3 और 4 नवंबर को विधानसभा का विशेष अधिवेशन बुला रही है, जिसमें राष्ट्रपति का संबोधन भी प्रस्तावित है. यह अवसर राज्य के इतिहास में एक महत्वपूर्ण क्षण है और ऐसे मौके पर सरकार को स्थायी राजधानी के विषय में निर्णायक निर्णय लेना चाहिए.
पूर्व सांसद ने कहा कि कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में गैरसैंण में विधानसभा भवन और अन्य आवश्यक ढांचे का निर्माण कराया गया था. तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत ने सचिवालय भवन के लिए 50 करोड़ रुपये की स्वीकृति भी दी थी. लेकिन वर्तमान भाजपा सरकार ने गैरसैंण को केवल ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित कर इसे एक राजनीतिक औपचारिकता भर बना दिया है, जबकि राज्य की जनता अब भी एक स्थायी राजधानी की प्रतीक्षा कर रही है.
टम्टा ने कहा कि राजधानी केवल प्रशासनिक केंद्र नहीं होती, बल्कि वह किसी प्रदेश की सांस्कृतिक, सामाजिक और भावनात्मक पहचान का प्रतीक होती है. उन्होंने तर्क दिया कि गैरसैंण भौगोलिक रूप से राज्य के मध्य भाग में स्थित है, जो पहाड़ और मैदान दोनों क्षेत्रों के हितों का समान रूप से प्रतिनिधित्व करता है.
उन्होंने कहा कि उत्तराखंड एक पर्वतीय राज्य है और उसकी राजधानी भी पहाड़ों में होनी चाहिए. यदि गैरसैंण को स्थायी राजधानी बनाया जाता है, तो यह न केवल क्षेत्रीय असंतुलन को दूर करेगा, बल्कि राज्य की अस्मिता को भी नई दिशा देगा.
पूर्व सांसद टम्टा ने कहा कि रजत जयंती के इस पावन अवसर पर सरकार को गैरसैंण को स्थायी राजधानी बनाकर उत्तराखंड की जनता को एक ऐतिहासिक सौगात देनी चाहिए. उन्होंने कहा कि यही उत्तराखंड आंदोलन के शहीदों के सपनों को साकार करने का सबसे उपयुक्त समय है.








