December 8, 2025 12:56 PM

उत्तराखंड: पौड़ी गढ़वाल में गुलदार के डर से 55 स्कूलों को बंद करने का आदेश, लोग घरों में कैद, जानिए डरावने हालात

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देहरादून/पौड़ी गढ़वाल: उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल में इन दिनों गुलदार का ऐसा खौफ फैला हुआ है कि 55 स्कूलों को बंद करना पड़ा। अब इन सभी स्कूलों में ऑनलाइन पढ़ाई कराना मजबूरी बन गई है। जिले के 55 स्कूलों को मंगलवार तक बंद रखा जाएगा है। वहीं बच्चों की पढ़ाई प्रभावित न हो इसके लिए शिक्षा विभाग ने स्कूलों को ऑनलाइन कक्षाएं संचालित करने की निर्देश जारी किया है।
उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में गुलदार और भालू आतंक का पर्याय बने हुए हैं। पौड़ी से सटे चवथ ग्राम सभा में गुलदार ने एक युवक को मार डाला था। इसके बाद से गांव में दहशत का माहौल बना हुआ है। वहीं राजकीय प्राथमिक विद्यालय क्वाली के पास गुलदार की सक्रियता को देखते हुए शिक्षा विभाग भी अलर्ट हो गया और क्षेत्र के 55 स्कूलों को मंगलवार तक बंद रखने के आदेश दिए गए।

स्कूलों की टाइमिंग भी बदली

जिले के संकुल बाडा, चरधार और ढांढरी के ग्रामीण क्षेत्र के सभी स्कूल मंगलवार तक बंद रहेंगे। उप शिक्षा अधिकारी आनंद के मुताबिक बच्चों की सुरक्षा को देखते हुए स्कूलों को मंगलवार तक बंद रखने का निर्णय लिया गया है। शिक्षण कार्य ऑनलाइन माध्यम से जारी रखा जाएगा, जिससे कि बच्चों की पढ़ाई का नुकसान न हो। वहीं जंगली जानवरों की सक्रियता को देखते हुए जिलाधिकारी स्वाति एस भदोरिया ने जिले के स्कूलों और आंगनबाड़ी केंद्रों के समय में भी अस्थाई परिवर्तन किया है। जिले के स्कूल और आंगनबाड़ी सुबह सवा नौ बजे से दोपहर तीन बजे तक ही संचालित होंगे।

उत्तराखंड के गढ़वाल में गुलदारों का आतंक

बता दें कि उत्तराखंड के गढ़वाल मंडल में भालू और गुलदारों का आतंक बढ़ता जा रहा है। स्कूल जाने वाले बच्चों से लेकर शादी-ब्याह तक के कार्यक्रम इन जंगली जानवरों की वजह से मुश्किल में पड़ रहे हैं। पर्वतीय क्षेत्रों में शादी विवाह खुले खेतों में आयोजित होते हैं तो वहीं कई अन्य कार्यक्रम भी खुले में ही किए जाते हैं, लेकिन गुलदार और भालू का बढ़ता आतंक ऐसे आयोजनों में भी दहशत फैला रहा है।

जंगली जानवरों के हमले लगातार बढ़ रहे हैं और लोग शादी या अन्य किसी भी कार्यक्रम में भीड़ जुटाने से भी घबरा रहे हैं। पौड़ी, चमोली, रुद्रप्रयाग या उत्तरकाशी इन सभी जगहों पर भालू और गुलदार के हमले को देखते हुए वन विभाग ने अपनी क्विक रिएक्शन टीम को अलर्ट पर रखा है।

लोग शाम होते ही घरों में कैद होने को मजबूर

पर्वतीय क्षेत्रों में जंगली जानवरों की बढ़ती सक्रियता और हमलों के कारण आलम यह है कि कई जगहों पर तो शाम होते ही गांव सुनसान हो जाता है। लोग शाम ढलते ही अपने घरों में कैद होकर रह जाते हैं। वहीं पशुओं के लिए चारापत्ती लेने जंगल में जाने से भी अब लोग कतरा रहे हैं, जिसकी वजह से पशुओं के चारे की भी समस्या खड़ी हो गई है।
इस संबंध में पिछले दिनों गढ़वाल लोकसभा सांसद एवं राष्ट्रीय मीडिया प्रमुख अनिल बलूनी ने नई दिल्ली में केंद्रीय वन पर्यावरण अपहरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव से मुलाकात कर गढ़वाल क्षेत्र में बढ़ते मानव वन्य जीव संघर्ष को लेकर गंभीर चर्चा की थी। उन्होंने केंद्रीय मंत्री से आग्रह किया था कि भारतीय वन्यजीव संस्थान देहरादून सहित अन्य विशेषज्ञ संस्थाओं के जरिए मानव वन्य जीव संघर्ष के वास्तविक कारणों का विस्तृत अध्ययन कराया जाए, ताकि दीर्घकालिक और प्रभावी समाधान सुनिश्चित किया जा सके।
सीटियां बजाकर भगा रहे भालू

इस पर केंद्रीय मंत्री ने शीघ्र सकारात्मक कार्यवाही का आश्वासन भी दिया। उधर चमोली में भालू से बचने के लिए बच्चों ने अनोखा तरीका अपनाया हुआ है। स्कूल आते-जाते समय बच्चे सीटियां बजाते हुए और शोर मचाते हुए चल रहे हैं। पिछले दिनों चमोली में जगह-जगह भालू की सक्रियता को देखते हुए स्कूली बच्चों के लिए मुसीबत खड़ी हो गई थी।
ग्रामीण क्षेत्रों में बच्चों को कई किलोमीटर पैदल चलकर स्कूल पहुंचना पड़ता है। इसके कारण अभिभावकों को भी बच्चों की चिंता बनी रहती है। कई स्थानों पर तो अभिभावकों ने बच्चों का समूह बनाकर उन्हें स्कूल छोड़ने का जिम्मा उठाया तो कहीं पर बच्चे खुद ही झुंड बना कर स्कूल आ-जा रहे हैं। चमोली के दशोली विकासखंड के स्यूंण से बच्चे जनता इंटर कॉलेज बेमुरू आते हैं और ऐसे में उन्हें लगभग चार से पांच किलोमीटर पैदल जंगली रास्ता पार करना होता है। इस दौरान वे सीटियां बजाते हुए और शोर करते हुए चलते हैं, जिससे कि कोई जंगली जानवर उनके आसपास ना फटक सके।

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