देहरादून: उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस का एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल आगामी 4 दिसंबर को आपदाग्रस्त धराली क्षेत्र का दौरा करने जा रहा है. कांग्रेस का कहना है कि उत्तराखंड सरकार में आपदा प्रबंधन से जुड़ी जिम्मेदारी संभाल रहे दायित्वधारी रिटायर्ड कर्नल अजय कोठियाल के हालिया बयान ने सरकार की कार्यशैली पर गंभीर प्रश्न चिन्ह लगा दिए हैं.
कांग्रेस का प्रतिनिधिमंडल धराली जाएगा: पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने बताया कि कर्नल कोठियाल के बयान ने स्पष्ट किया है कि सरकार द्वारा पेश किए गए आंकड़े अधूरे और भ्रामक हैं. धराली में राहत और पुनर्वास कार्यों में भारी लापरवाही ही बरती गई है. इसलिए यह निर्णय लिया गया है कि उत्तराखंड कांग्रेस का एक उच्च स्तरीय डेलिगेशन गुरुवार को उत्तरकाशी के धराली आपदाग्रस्त क्षेत्र का स्थलीय निरीक्षण करेगा.
रिटा. कर्नल कोठियाल के बयान के बाद राजनीतिक सरगर्मी तेज : कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने बताया कि यह प्रतिनिधिमंडल स्थानीय पीड़ित परिवारों से मिलेगा और वास्तविक स्थिति की जानकारी लेगा. इसके अलावा प्रशासनिक स्तर पर हो रही अनदेखी का भी प्रत्यक्ष आकलन करेगा. धराली से कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल के वापस लौटने के बाद एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार की जाएगी. वह रिपोर्ट उत्तराखंड के राज्यपाल को इस उम्मीद के साथ सौंपी जाएगी. हमें उम्मीद है कि राज्यपाल केंद्र और उत्तराखंड की सरकारों पर दबाव बनाएंगे, जिससे स्थानीय निवासियों की अपेक्षा के अनुरूप आपदाग्रस्त क्षेत्र में रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया जा सके और पुनर्निर्माण और पुनर्वास के कार्य बिना विलंब के हो सकें.
2013 की केदारनाथ आपदा के बाद कांग्रेस ने सीएम हटा दिया था- पीसीसी चीफ: गणेश गोदियाल ने कहा कि कांग्रेस के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल धराली आपदा के समय वहां गया था. अब एक बार फिर से सेवानिवृत्त कर्नल अजय कोठियाल के खुलासे के बाद कांग्रेस का प्रतिनिधिमंडल उस क्षेत्र में जाएगा और स्थिति का आकलन करेगा. गोदियाल का यह भी कहना है कि 2013 की दैवीय आपदा के बाद कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व ने इस बात पर राज्य के उस समय के मुख्यमंत्री को हटा दिया था, क्योंकि उन्होंने आपदा कार्यों में गंभीरता नहीं दिखाई थी. लेकिन वर्तमान की केंद्र सरकार आपदाओं और आपदाग्रस्त क्षेत्र के प्रति गंभीर और संवेदनशील नहीं दिखाई पड़ती है. जब मुख्यमंत्री के प्रतिनिधि ही धराली आपदा की स्थिति पर सरकार की पोल खोल रहे हैं, तो यह स्पष्ट है कि सरकार ने जनता से जानकारी छिपायी है.
रिटायर्ड कर्नल अजय कोठियाल ने क्या कहा है? अजय कोठियाल के फेसबुक पर एक वीडियो पोस्ट किया गया है. ये वीडियो एक बैठक का है. वीडियो में अजय कोठियाल कह रहे हैं कि धराली में आज भी 147 डेड बॉडी मलबे के नीचे दबी हुई हैं. ऐसा नहीं है कि उन डेड बॉडी को निकाला नहीं जा सकता है. उत्तरकाशी जिले के धराली में हुई बदहाल हालत हमारी नकारात्मक सोच का उदाहरण है. चार महीने बाद भी वहां से हालात खराब हैं. देहरादून में UCOST द्वारा आयोजित ‘World Summit on Disaster Management’ पर चर्चा के दौरान कोठियाल ये बातें कह रहे हैं. इस वीडियो में अजय कोठियाल धराली आपदा पर अधिकारियों से बात कर रहे हैं.
कौन हैं कर्नल अजय कोठियाल? रिटायर्ड कर्नल अजय कोठियाल पूर्व सैन्य अधिकारी हैं. 2018 में उन्होंने वीआरएस ले लिया था. कर्नल कोठियाल 26 नेहरू पर्वतारोहण संस्थान (निम) के प्रधानाचार्य भी रहे. उत्तराखंड के केदारनाथ में 2013 में आई भीषण आपदा के बाद शुरू हुए निर्माण कार्यों और खासकर केदारनाथ पुनर्निर्माण की कहानी रिटायर्ड कर्नल अजय कोठियाल के जिक्र के बिना अधूरी है.
रिटायरमेंट के बाद 2021 में उन्होंने आम आदमी पार्टी ज्वाइन की थी. आप ने 2022 के विधानसभा चुनावों में उन्हें उत्तराखंड का मुख्यमंत्री पद का प्रत्याशी घोषित कर चुनाव लड़ा था. हालांकि उस चुनाव में आप का प्रदर्शन बहुत खराब रहा था. उन्हें एक भी सीट नहीं मिली थी. इसके बाद अजय कोठियाल आप छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए थे. बीजेपी ने पहले उन्हें अपना प्रवक्ता बनाया, फिर उत्तराखंड पूर्व सैनिक कल्याण सलाहकार समिति का अध्यक्ष बना दिया.
रिटायर्ड कर्नल अजय कोठियाल का ये बयान क्यों आया: दरअसल धराली आपदा के बाद उत्तराखंड सीएम धामी ने पूरी गंगोत्री घाटी में पुनर्स्थापना की जिम्मेदारी रिटायर्ड कर्नल अजय कोठियाल को सौंपी है. धराली में आई भीषण प्राकृतिक आपदा के बाद जहां एक तरफ पूरी हर्षिल घाटी और गंगोत्री तक जनजीवन पूरी तरह से पटरी से उतर चुकी थी. पूरी घाटी में जनजीवन को वापस पटरी पर लाने के लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पुनर्स्थापना की बड़ी जिम्मेदारी भाजपा नेता कर्नल अजय कोठियाल को दी. ये जिम्मेदारी मिलने पर रिटायर्ड कर्नल अजय कोठियाल ने तब कहा था कि इस तरह की भीषण आपदा के बाद हमें एक नई शुरुआत करने के लिए सबसे पहले अपनी प्राथमिकताएं सुनिश्चित करनी होती हैं. अभी पहली प्राथमिकता धराली में आई आपदा की चपेट में आए लोगों की खोजबीन है. 4 महीने बाद भी वही खोजबीन नहीं होने पर उनके सब्र का बांध टूट पड़ा.






