October 24, 2025 8:44 PM

केदारनाथ कपाटबंदी के साक्षी बने सीएम धामी, गौरीकुंड गौरामाई को लेकर भी आया अपडेट, पढ़िये पूरी खबर

रुद्रप्रयाग: भैया दूज के पावन मौके पर आज केदारनाथ धाम के कपाट विधि-विधान एवं धार्मिक परंपराओं के साथ शीतकाल के लिए बंद कर दिये गये हैं. केदारनाथ कपाट बंद होने के मौके पर सीएम धामी भी धाम पहुंचे. सीएम धामी कपाट बंद होने से पूर्व बाबा केदार की पूजा-अर्चना में शामिल हुये.

इसके बाद सुबह 8.30 बजे शीतकाल के लिए बाबा केदार के कपाट बंद कर दिये गये हैं. केदारनाथ धाम के कपाट बंद होने के बाद बाबा केदारनाथ की पंचमुखी चल विग्रह उत्सव डोली अपने शीतकालीन गद्दीस्थल ओम्कारेश्वर मंदिर के लिए रवाना हो गई है.

वहीं, केदारनाथ यात्रा का प्रमुख पड़ाव गौरीकुंड स्थित मां गौरा माई के कपाट भी शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए हैं. कपाट बंद करने को लेकर बदरी-केदार मंदिर समिति एवं हक हकूकधारियों की ओर से तैयारियां की गई थी.

भैयादूज के अवसर पर शीतकाल के लिए गौरीकुंड स्थित गौरामाई के कपाट बंद कर दिए गए हैं. वीरवार सुबह 8 बजे पुजारी एवं ब्राह्मणों ने वैदिक मंत्रोच्चारण एवं पौराणिक रीति रिवाज के साथ भक्तों की उपस्थिति में मां गौरा माई के कपाट बंद कर दिए. मां की डोली ने मंदिर की एक परिक्रमा करने के बाद गौरी गांव के लिए रवाना हुई. अब शीतकाल के छह माह तक गौरी गांव में मां गौरामाई की पूजा अर्चना संपन्न की जाएगी.

मान्यता है कि कैलाश से भगवान शिव की उत्सव डोली गौरीकुंड पहुंचने से पहले गौरामाई की डोली गर्भगृह से बाहर निकालकर अपने शीतकालीन गद्दीस्थल को रवाना हो जाती है. जिससे बाबा केदार व गौरामाई का मिलन नहीं हो पाता है. यहां पर भगवान शिव ने पार्वती के अंग निर्मित पुत्र गणेश से युद्धकर उसके सिर काटने से गौरामाई नाराज हुई थी.

व्यापार संघ अध्यक्ष गौरीकुण्ड राम गोस्वामी ने बताया ठीक 8 बजे मंदिर के कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए. अब शीतकाल के छह माह तक मां गौरा की पूजा गौरी गांव में संपन्न की जाएगी. उन्होंने बताया यह परंपरा वर्षो से चली आ रही है. जब बाबा केदार के कपाट बंद होते हैं तो डोली के गौरीकुंड पहुंचने से पहले ही मां गौरा माई के कपाट बंद कर डोली गौरी गांव के लिए रवाना हो जाती है.

Related Posts

उत्तराखंड मे 5 नवंबर को होगा दूसरा प्रवासी सम्मेलन, 600 से अधिक लोगों ने कराया रजिस्ट्रेशन देहरादून: 9 नवंबर 2025 को उत्तराखंड स्थापना दिवस के 25 साल पूरे हो रहे हैं और इस मौके पर उत्तराखंड की धामी सरकार कई तरह के आयोजन करवा रही है. सरकार ने यह ऐलान किया है 1 तारीख से लेकर 9 नवंबर तक राज्य में अलग-अलग कार्यक्रम आयोजित होंगे इसी कड़ी में साल 2024 की तरह ही साल 2025 में भी प्रवासी उत्तराखंड सम्मेलन आयोजित किया जा रहा है. 5 नवंबर को दून विश्वविद्यालय में होने वाले इस आयोजन में 600 से अधिक प्रवासियों ने रजिस्ट्रेशन करवा लिए हैं. भारत के अलग अलग राज्य और दुनिया के अलग-अलग कोनों में रहने वाले उत्तराखंड के लोग एक बार फिर से राजधानी देहरादून में जुटेंगे. राज्य सरकार से मिली जानकारी के अनुसार दो सत्रों में यह सम्मेलन आयोजित होगा. अलग-अलग राज्य ओर देश से आने वाले लोग उत्तराखंड की 25 सालों की यात्रा को लेकर अपने-अपने अनुभव और नजरिए से बातचीत करेंगे. इसके साथ ही राज्य सरकार को यह प्रवासी सुझाव भी देंगे ताकि राज्य को और भी ज्यादा खुशहाल और आर्थिक रूप से मजबूत किया जाए. पहले सत्र में पर्यावरण को लेकर चर्चा होगी, जबकि दूसरे सत्र में राज्य में शिक्षा महिला सशक्तिकरण और स्वास्थ्य जैसे मुद्दों पर चर्चा होगी इसमें अलग-अलग विभागों के अधिकारी तो मौजूद रहेंगे ही साथ-साथ अपने-अपने क्षेत्र में बेहतर काम करने वाले लोग भी प्रवासी भारतीयों के साथ संवाद करेंगे. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की तरफ से जारी किये गए बयान में कहा गया है कि प्रवासियों को एक मंच पर लाने और उन्हें अपनी मातृभूमि से सक्रियता से जोड़ने तथा राज्य के विकास में उनकी सहभागिता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से यह सम्मेलन आयोजित किया जा रहा है. पिछले आयोजन के हमारे अनुभव बेहद उत्साहित करने वाले रहे हैं. मैं उत्तराखंड के रजत जयंती वर्ष के अवसर पर आयोजित हो रहे इस सम्मेलन के लिए प्रवासी उत्तराखंडियों को सादर आमंत्रित करता हूं. प्रवासी उत्तराखंडियों के सुझाव उत्तराखंड के विकास का रोड मैप तैयार करने में अहम भूमिका निभाएंगे. इस साल उत्तराखंड स्थापना दिवस को धामी सरकार रजत जयंती वर्ष के रूप में मना रही है. वहीं उत्तराखंड सरकार राज्य स्थापना दिवस से पहले तीन और चार नवंबर को विशेष सत्र आहूत करने जा रही है. विशेष सत्र के दौरान सत्तापक्ष और विपक्ष मिलकर राज्य के विकास पर चर्चा करेंगे, साथ ही सुझाव देकर भविष्य के रोडमैप पर मंथन किया जाएगा. ताकि उत्तराखंड को देश के उत्कृष्ट राज्यों में अपना स्थान हासिल कर सके.