देहरादून: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रस्तावित उत्तराखंड दौरे को लेकर सियासत तेज हो गई है. एक तरफ जहां बीजेपी प्रधानमंत्री के प्रस्तावित उत्तराखंड भ्रमण को उत्सव का माहौल बता रही है तो वहीं मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने सरकार पर तीखे सवाल दागे हैं. जिससे सूबे में सियासत गरमा गई है.
जनता के बीच बीजेपी की पकड़ मजबूत: बीजेपी का कहना है कि प्रधानमंत्री मोदी का उत्तराखंड से विशेष लगाव रहा है. उनका यह दौरा प्रदेश की जनता से जुड़ाव और संगठन की मजबूती का प्रतीक है. बीजेपी प्रदेश प्रवक्ता हनी पाठक ने कहा कि उत्तराखंड में युवा महोत्सव, पद यात्राओं, स्वदेशी मेला और विकास पर्व जैसे कई कार्यक्रमों के जरिए बीजेपी जनता के बीच अपनी पकड़ मजबूत कर रही है. बीजेपी जनता के सामने देश की नंबर वन पार्टी के रूप में उभर कर आई है.
पीएम मोदी का उत्तराखंड आना सौभाग्य की बात: हनी पाठक कहा कि बीजेपी को हमेशा से ही चुनावी मोड पर रहने और कार्यकर्ताओं के साथ इंटरेक्ट करती हुई पार्टी के तौर पर जाना जाता है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अगर देवभूमि उत्तराखंड आ रहे हैं तो यह हम सब के लिए उत्सव जैसा माहौल है. उनका एक बार फिर यहां आना सौभाग्य की बात है.
कांग्रेस ने बीजेपी पर दागे कई सवाल: इधर, कांग्रेस पार्टी ने पीएम मोदी के प्रस्तावित उत्तराखंड दौरे को लेकर बीजेपी पर निशाना साधा है. कांग्रेस का कहना है कि सरकार को ये भी बताना चाहिए कि अब तक रोजगार कितने दिए गए? प्रदेश के पहाड़ी क्षेत्रों से पलायन कितना रुका है और महंगाई कितनी कम हुई है? प्रदेश के दूरस्थ क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं का क्या हाल है?
जनता के सवालों के जवाब बीजेपी को देने होंगे: कांग्रेस ने सवाल उठाया कि आपदा के समय सरकार प्रभावी राहत कार्य क्यों नहीं चला पाई? इन सब सवालों के जवाब बीजेपी को देने होंगे. कांग्रेस प्रदेश उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने कहा कि बीजेपी को पद यात्राओं के माध्यम से इन सब सवालों के जवाब जनता को देने होंगे. जिन जगहों पर बीजेपी पद यात्राएं निकालने जा रही है, कांग्रेस उन सभी जगहों पर बीजेपी से यही सब सवाल करेगी.
8 सालों से कांग्रेस कर रही काम: उन्होंने कहा कि विपक्ष का काम जनता के सवालों और उनकी दिक्कतों को उठाना होता है. यही काम कांग्रेस बीते आठ सालों से करती आ रही है. प्रधानमंत्री से ये भी सवाल पूछा जाना चाहिए कि प्रदेश में आई इतनी बड़ी आपदा के बावजूद वो आपदा प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करने क्यों नहीं गए?







