नई दिल्ली: समाजवादी पार्टी (SP) के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सत्तारूढ़ बीजेपी की आलोचना करते हुए कहा कि ‘वंदे मातरम्’ सिर्फ गाने के लिए नहीं, बल्कि निभाने के लिए भी होना चाहिए, लेकिन आज के ‘‘दरारवादी’’ लोग इसी के जरिये देश को तोड़ना चाहते हैं। अखिलेश ने लोकसभा में वंदे मातरम् पर चर्चा में भाग लेते हुए आरोप लगाया कि फिलहाल जो दौर चल रहा है उसमें सत्ता पक्ष के लोग हर चीज का श्रेय लेना चाहते हैं।
हर चीज का श्रेय लेना चाहते
सपा सांसद ने कहा, ‘‘हमारे सत्ता पक्ष के लोग हर चीज का श्रेय लेना चाहते हैं। जो महापुरुष उनके नहीं हैं, या जो चीज उनकी नहीं है, उन्हें भी अपनाना चाहते हैं।’’ अखिलेश ने कहा, ‘‘वंदे मातरम् सिर्फ गाने के लिए नहीं है, निभाने के लिए भी होना चाहिए। सत्ता पक्ष के लोग आकलन करें कि हम इसे कितना निभा रहे हैं। आज के ‘दरारवादी’ लोग उसी के जरिये देश को तोड़ना चाहते हैं। ’’
उन्होंने सत्तारूढ़ दल पर निशाना साधते हुए कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के गठन के समय उनके जो अध्यक्ष चुने गऐ थे, उन्हें जो भाषण देना था उस पर इस बात को लेकर बहस चली थी कि ‘‘भाजपा धर्मनिरपेक्ष समाजवाद के रास्ते पर जाएगी कि नहीं।’’
वंदे मातरम् राजनीति का विषय नहीं
सपा सांसद ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि वंदे मातरम् कोई दिखावा, या राजनीति का विषय नहीं है, लेकिन ‘‘ऐसा लगता है कि वंदे मातरम् इन्हीं (सत्तापक्ष) का बनवाया हुआ है।’’ उन्होंने उत्तर प्रदेश में प्राथमिकी विद्यालयों को एकीकृत किये जाने का जिक्र करते हुए कहा कि जब हम आजाद हैं, ‘‘उत्तर प्रदेश में प्राथमिक स्कूल बंद किये जा रहे हैं। 26 हजार से अधिक स्कूल बंद हो गए।’’
पीएम मोदी ने लोकसभा में चर्चा की शुरुआत की
इससे पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लोकसभा में वंदेमातरम् पर चर्चा की शुरुआत की। उन्होंने दावा किया कि पंडित जवाहरलाल नेहरू के कांग्रेस अध्यक्ष रहते हुए मुस्लिम लीग के दबाव में वंदे मातरम् के टुकड़े कर दिए गए और एक दिन पार्टी को भारत के बंटवारे के लिए भी झुकना पड़ा।
1975 में देश में लगाए गए आपातकाल का हवाला दिया और कहा कि जब राष्ट्रीय गीत के 100 वर्ष पूरे हुए, तब देश आपातकाल की जंजीरों में जकड़ा हुआ था और संविधान का गला घोंट दिया गया था। उन्होंने कांग्रेस को आड़े हाथ लेते हुए कहा, ‘‘जब आजादी को कुचलने की कोशिश हुई, संविधान की पीठ पर छुरा घोंप दिया गया और देश पर आपातकाल थोप दिया गया, तब इसी वंदे मातरम ने देश को खड़ा किया।’’
जिन्ना के दबाव में झुक गई कांग्रेस
प्रधानमंत्री ने कहा कि बंकिम चंद्र चटर्जी द्वारा 1875 में लिखित वंदे मातरम् जब देश की ऊर्जा और प्रेरणा का मंत्र बन रहा था और स्वतंत्रता संग्राम का नारा बन गया था, तब मुस्लिम लीग की विरोध की राजनीति और मोहम्मद अली जिन्ना के दबाव में कांग्रेस झुक गई। उन्होंने कहा, ‘‘तब कांग्रेस के तत्कालीन अध्यक्ष नेहरू को अपना सिंहासन डोलता दिखा। नेहरू जी मुस्लिम लीग के आधारहीन बयानों पर करारा जवाब देते, मुस्लिम लीग के बयानों की निंदा करते, वंदे मातरम के प्रति खुद की और कांग्रेस पार्टी की निष्ठा को प्रकट करते, उसके बजाय उन्होंने वंदे मातरम् की ही पड़ताल शुरू कर दी।’ (इनपुट-भाषा)







