देहरादून: उत्तराखंड में सड़क सुरक्षा को लेकर जीरो टॉलरेंस नीति को अमल में लाया जाएगा. इस दौरान नियम तोड़ने वालों पर पहले से ज्यादा सख्ती अपनाई जाएगी. यह बात मुख्य सचिव आनंद वर्धन में राज्य सड़क सुरक्षा कोष प्रबंधन समिति की समीक्षा करते हुए कही. जिसमें अधिकारियों को कुछ दूसरे जरूरी दिशा निर्देश भी दिए गए.
प्रदेश में सड़क सुरक्षा पर नियम तोड़ने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का फैसला किया गया है. इस दौरान अधिकारियों को सड़क सुरक्षा के लिए सभी जरूरी कदम उठाते हुए नियमों में संशोधन की जरूरत पड़ने पर इसके लिए भी प्रस्ताव तैयार करने के निर्देश जारी किए गए हैं. दरअसल सड़क सुरक्षा से जुड़े नियमों के उल्लंघन के मामले अक्सर सामने आते रहे हैं. यह स्थितियां प्रशासन के लिए भी चिंताएं बढ़ाने वाली रही हैं.
इन्हीं हालातो को देखते हुए मुख्य सचिव आनंद वर्धन ने राज्य सड़क सुरक्षा कोष प्रबंधन समिति की समीक्षा के दौरान कुछ जरूरी और सख्त कदम उठाने के लिए कहा है. यह स्पष्ट किया गया है कि नियम तोड़ने वालों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाए. जिससे ऐसे लोगों में नियम तोड़ने को लेकर भविष्य में सुधार आ सके.
खास बात यह है की मुख्य सचिव ने सड़क सुरक्षा में जीरो टॉलरेंस नीति का पालन करने के निर्देश दिए हैं, ताकि सड़क सुरक्षा उल्लंघन पर त्वरित कार्रवाई की जा सके. इस दौरान परिवहन पुलिस और संबंधित विभागों को यह भी कहा गया है कि सड़क सुरक्षा मानकों के उल्लंघन पर की जाने वाली कार्रवाई आंशिक रूप से ना देखी जाए बल्कि शत प्रतिशत क्रियान्वयन मामलों में सुनिश्चित किया जाए.
बड़ी बात यह है कि ऐसे मामलों में राज्य स्तर पर नियमों में संशोधन की जरूरत पड़ने पर संशोधन से जुड़े प्रस्ताव भेजने के लिए भी कहा गया है. मुख्य सचिव ने निर्देश दिए हैं कि रेड लाइट जाम करने वालों का लाइसेंस 3 महीने तक के लिए निलंबित कर दिया जाए. इतना ही नहीं जिन मामलों में चालान की कार्रवाई हो चुकी है. कंपाउंडिंग प्रक्रिया पूरी नहीं हो पा रही, ऐसे वाहनों को सीसीटीवी कैमरे के जरिए ट्रैक कर उन पर सख्त कार्रवाई की जाये.
ट्रैफिक समस्या के समाधान के लिए भी समीक्षा में चर्चा की गई. इस दौरान ट्रैफिक संचालन को डिजिटल और ऑटोमेटेड करने के लिए तकनीकी उपकरणों, ट्रैफिक लाइट्स और स्ट्रीट लाइट से संबंधित प्रस्ताव भी तैयार करने के लिए कहा गया. यानी सरकार चाहती है कि अब प्रदेश में ट्रैफिक ऑटोमोड में लाया जाए. ताकि शहरी क्षेत्र में खासतौर पर हो रही ट्रैफिक की समस्या से निजात मिल सके.
प्रदेश में ट्रैफिक व्यवस्था में सुधार के लिए जन जागरुक करने की भी योजना बनाई गई है. इसके अलावा सड़क दुर्घटना की आपात स्थिति में हेली एंबुलेंस और मेडिकल इमरजेंसी विकल्पों पर परिवहन और स्वास्थ्य विभाग द्वारा मिलकर ठोस प्रस्ताव तैयार करने के लिए भी कहा गया है.