April 25, 2024 5:31 PM

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सिविल सेवा परीक्षाओं के सफल अभ्यर्थियों में कितना है मुस्लिमों का प्रतिनिधित्व, और टॉप 10 मे कितने मुस्लिम ? पढ़ें ये खबर…

न्यूज़ डेस्क : संघ लोक सेवा आयोग की सिविल सेवा परीक्षा 2022 में कुल 29 मुस्लिम अभ्यर्थी सफल रहे, जिनमें 11 महिलाएं शामिल हैं। इस बार इन परीक्षाओं में कुल 933 अभ्यर्थी सफल रहे हैं, जिनमें टॉप के 10 अभ्यर्थियों में एक मुस्लिम और टॉप के 100 अभ्यर्थियों में तीन मुस्लिम शामिल हैं।

जम्मू और कश्मीर के वसीम अहमद बट्ट ने सातवीं रैंक हासिल की है। जबकि जम्मू और कश्मीर के ही नवीद अहसान बट्ट को 84वीं और अलीगढ़ के असद जुबैरी को 86वी रैंक हासिल हुई है।

गौरतलब है कि सिविल सेवा की परीक्षाओं में जिन 933 अभ्यर्थियों ने सफलता प्राप्त की है, उनमें से 345 सामान्य श्रेणी से सफल हुए हैं। जबकि 99 ईडब्ल्यूएस कोटे से सफल रहे। वहीं, 263 अभ्यर्थी ओबीसी कोटे से आते हैं। अनुसूचित जाति से 154 और अनुसूचित जनजाति से 72 अभियर्थियों को सफलता मिली। इन अभ्यर्थियों में से 38 को विदेश सेवा (IFS), 180 को आईएएस (IAS), 200 को आईपीएस (IPS) और 473 को केंद्रीय सेवाओं के लिए चुना गया है।

सफल होने वाली मुस्लिम महिलाएं

जिन 11 मुस्लिम महिलाओं ने सिविल सेवा की परीक्षाओं में बाजी मारी है, उनमें हरियाणा के गुरुग्राम की रहने वाली रूहानी ने 159वीं रैंक हासिल की है। मध्य प्रदेश के देवास जिले की आयशा फातिमा ने 184वीं रैंक हासिल की है। उन्होंने चौथे प्रयास में यह सफलता प्राप्त की है। वहीं, जुफिशान हक ने 193वीं रैंक हासिल की है।

उत्तर प्रदेश की रहने वाली राशिदा खातून ने 354वीं रैंक हासिल की है। राशिदा के पिता रहीम नबी खान उत्तर प्रदेश पुलिस में दरोगा के पद पर कार्यरत हैं। ऐमन रिजवान को 398वीं रैंक हासिल हुई है। महाराष्ट्र की काजी आयशा इब्राहिम ने 586वीं रैंक हासिल की है। उत्तराखंड के देहरादून की तस्कीन खान ने 736वीं रैंक हासिल की है। मिस इंडिया बनने का सपना देखने वाली तस्कीन खान मिस देहरादून और मिस उत्तराखंड भी रह चुकी हैं।

पांच साल की उम्र में एक बस दुर्घटना में अपना दायां हाथ गंवाने वाली केरल की अखिला बी.एस. ने 760वीं रैंक प्राप्त की है। उन्हें यह सफलता तीसरे प्रयास में मिली है। वहीं, केरल की ही रहने वाली फातिमा हारिस ने 774वीं रैंक हासिल की है। जम्मू कश्मीर के राजौरी जिले की रहने वाली इरम चौधरी को 852वीं रैंक हासिल हुई है। वहीं, केरल की रहने वाली शेरिन शहाना टी.के. को 913वीं रैंक हासिल हुई है।

सफल होने वाले मुस्लिम पुरुष

जिन 18 मुस्लिम पुरुषों ने सिविल सेवा की परीक्षाओं में सफलता प्राप्त की है, उनमें जम्मू कश्मीर के अनंतनाग जिले के वसीम अहमद बट्ट ने टॉप 10 में जगह बनाते हुए 7वीं रैंक हासिल की है। वहीं, बारामुला के सोपोर के रहने वाले नवीद अहसान बट्ट ने 84वीं रैंक हासिल की है। उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ के रहने वाले असद जुबैरी ने 86वीं रैंक हासिल की है। उत्तर प्रदेश के बांदा के रहने वाले आमिर खान ने 154वीं रैंक हासिल की है और आंध्र प्रदेश के शेख हबीबुल्ला को 189वीं रैंक हासिल हुई है।

वहीं, श्रीनगर के रहने वाले मनान बट्ट ने 231वीं रैंक हासिल की है। राजस्थान के अलवर जिले के रहने वाले आकिप खान ने 286वीं रैंक हासिल की है। उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद के रहने वाले मोईन अहमद ने 296वीं रैंक हासिल की है। वहीं, मोहम्मद ईदुल अहमद को 298वीं रैंक, अरशद मोहम्मद को 350वीं रैंक और मोहम्मद रिस्विन को 441वीं रैंक हासिल हुई है। जम्मू के मोहम्मद इरफान को 476वीं रैंक हासिल हुई है। मुंबई के सैयद मोहम्मद हुसैन को 570वीं रैंक, मोहम्मद अफजल को 599वीं रैंक, मोहम्मद याकूब को 612वीं रैंक, मोहम्मद शदा को 642वीं रैंक और मोहम्मद सिद्दीक शरीफ को 745वीं रैंक हासिल हुई है। इसके अतिरिक्त, कोलकाता के रहने वाले मोहम्मद बुरहान जमान को 768वीं रैंक हासिल हुई है।

पिछले सालों में सफल होने वाले मुस्लिम अभ्यर्थी

साल 2021 की सिविल सेवा परीक्षाओं में कुल सफल अभ्यर्थियों की संख्या 685 थी, जिनमें 25 मुसलमान (3.64 प्रतिशत) चुने गए थे। साल 2020 में 761 अभ्यर्थी सफल हुए थे, जिनमें 31 मुसलमान (4.07 प्रतिशत) थे। साल 2019 में 829 अभ्यर्थी सफल हुए थे, जिनमें 44 (5.30 प्रतिशत) मुसलमान थे। साल 2018 में 759 अभ्यर्थी सफल हुए थे, जिनमें 28 मुसलमान (3.68 प्रतिशत) थे। साल 2017 में 980 अभ्यर्थी सफल हुए थे, जिनमें 50 मुसलमान (5.10 प्रतिशत) थे। साल 2016 में 1099 अभ्यर्थी सफल हुए थे, जिनमें 52 मुसलमान (4.73 प्रतिशत) थे।

मुसलमान जो टॉपर बने

अगर पिछले 50 वर्षों की बात करें, तो सिर्फ तीन मुस्लिम अभ्यर्थी ऐसे हैं, जिन्होंने यूपीएससी की परीक्षाओं में पहली रैंक हासिल की है। इनमें जावेद उस्मानी (1977), आमिर सुबहानी (1987) और शाह फैसल (2009) शामिल हैं। शाह फैसल जम्मू कश्मीर कैडर के 2010 बैच के अधिकारी है। वह साल 2019 में आईएएस से इस्तीफा देकर राजनीति में चले गए थे और जम्मू-कश्मीर पीपुल्स मुवमेंट नाम की अपनी पार्टी भी बनाई थी। लेकिन, तीन सालों के अंदर ही उन्होंने सिविल सेवा में वापसी कर ली और उन्हें केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय में उपसचिव के रूप में नियुक्त किया गया। कश्मीर से धारा 370 के हटने के बाद लगभग एक वर्ष तक शाह फैसल को हिरासत में भी रखा गया था।

साभार – one india 

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